RBI New Rule On EMI : आजकल घर, गाड़ी या किसी ज़रूरी चीज़ के लिए लोन लेना आम बात हो गई है। लेकिन कई बार ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आ जाते हैं जब EMI भरना मुश्किल हो जाता है—जैसे नौकरी जाना, बीमारी या किसी और फाइनेंशियल परेशानी की वजह से। ऐसे में लोग अक्सर डर जाते हैं कि अब बैंक क्या करेगा? प्रॉपर्टी ले लेगा? बदनाम कर देगा?
पर आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। RBI यानी भारतीय रिज़र्व बैंक ने EMI भरने में दिक्कत आने पर लोगों को कुछ अहम अधिकार दिए हैं, जिनकी जानकारी आपको ज़रूर होनी चाहिए।
1. अपना पक्ष रखने का हक
अगर आप किसी वजह से EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो बैंक आपको तुरंत डिफॉल्टर नहीं कह सकता। उन्हें आपको एक नोटिस देना होगा जिसमें आप अपनी बात रखने का मौका पा सकें। इस नोटिस के बाद बैंक को कम से कम 60 दिन का टाइम देना ज़रूरी है ताकि आप या तो रकम चुका सकें या कुछ बातचीत कर सकें।
2. वसूली के नियम
RBI ने साफ कहा है कि बैंक या रिकवरी एजेंट आपको परेशान नहीं कर सकते। वो लोग सुबह 7 से शाम 7 के बीच ही मिलने आ सकते हैं। और हां, वो आपके पड़ोसी, रिश्तेदार या ऑफिस में किसी को भी तंग नहीं कर सकते।
अगर कोई रिकवरी एजेंट ज़्यादा ज़ोर-ज़बरदस्ती करता है, तो आप बैंक में शिकायत कर सकते हैं या बैंकिंग लोकपाल से मदद ले सकते हैं।
3. सम्मान से पेश आने का अधिकार
बैंक या उनके कर्मचारी अगर आपको धमकाते हैं, बदतमीज़ी करते हैं या गाली-गलौच करते हैं, तो ये गैरकानूनी है। आप इसकी शिकायत कर सकते हैं और अगर मुमकिन हो तो बातचीत की रिकॉर्डिंग या कोई सबूत रखना बेहतर होगा।
4. संपत्ति की सही कीमत जानने का अधिकार
अगर आपने किसी प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर लोन लिया है और बैंक उसे बेचने का प्लान बना रहा है, तो वो आपको पहले से जानकारी देना ज़रूरी है। आपको नीलामी की तारीख, प्रॉपर्टी की कीमत जैसी बातें साफ-साफ बतानी होंगी।
अगर आपको लगता है कि प्रॉपर्टी का सही दाम नहीं लगाया गया है, तो आप अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। चाहें तो किसी एक्सपर्ट से दोबारा वैल्यूएशन भी करवा सकते हैं।
5. अतिरिक्त रकम वापस पाने का अधिकार
मान लीजिए बैंक ने आपकी प्रॉपर्टी 70 लाख में बेची और आपके ऊपर लोन सिर्फ 50 लाख का था, तो बाकी के 20 लाख (कानूनी खर्च काटकर) आपको वापस मिलने चाहिए। बैंक इस पैसे को अपने पास नहीं रख सकता।
6. लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प
अगर आप वाकई में परेशान हैं और चाहकर भी EMI नहीं भर पा रहे, तो आप बैंक से लोन रीस्ट्रक्चरिंग की रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसमें EMI की अवधि बढ़ सकती है, कुछ महीनों का राहत मिल सकता है या ब्याज दर में बदलाव हो सकता है।
खासकर जब कोई प्राकृतिक आपदा, बीमारी या नौकरी छूटने जैसी स्थिति हो, तो बैंक आमतौर पर मदद करते हैं।
7. CIBIL से नाम हटवाने का हक
अगर आपने पूरा लोन चुका दिया है, तो CIBIL की डिफॉल्टर लिस्ट से अपना नाम हटवाना आपका हक है। बैंक को आपकी पेमेंट की अपडेट जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजनी होती है। अगर वो नहीं भेजता, तो आप खुद CIBIL को कंप्लेंट कर सकते हैं।
EMI चुकाने में दिक्कत न हो, इसके लिए कुछ आसान उपाय
- फाइनेंशियल प्लानिंग करें: लोन लेने से पहले अपनी इनकम और खर्चों का हिसाब लगाएं। कोशिश करें कि आपकी EMI आपकी मासिक इनकम का 40% से ज्यादा न हो।
- इमरजेंसी फंड बनाएं: कम से कम 6 महीने के खर्च जितना इमरजेंसी फंड हमेशा रखें, ताकि ज़रूरत पड़ने पर मदद मिले।
- लोन बीमा लें: कई बैंक लोन इंश्योरेंस देते हैं, जिससे आपकी मौत, बीमारी या नौकरी जाने की हालत में EMI भरने की चिंता नहीं रहती।
- बचत की आदत डालें: हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम सेव करें। SIP या ऑटोमैटिक सेविंग्स प्लान इसमें मदद कर सकते हैं।
- बैंक से खुलकर बात करें: अगर आपको लगता है कि EMI नहीं भर पाएंगे, तो बैंक से समय रहते बात करें। देरी करने से चीजें और खराब हो सकती हैं।
कानून क्या कहता है
- SARFAESI Act, 2002: इस कानून के तहत बैंक गिरवी रखी प्रॉपर्टी को बेच सकता है, लेकिन उसे पहले नोटिस देना और वक्त देना ज़रूरी है।
- RDDBFI Act, 1993: इसके तहत बैंक डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) में केस कर सकता है, लेकिन वहां भी आपको अपनी बात रखने का मौका ज़रूर मिलता है।
अगर आप किसी कारण EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो डरने की ज़रूरत नहीं है। RBI ने आपको कई अधिकार दिए हैं और बैंक इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते। अपने अधिकार जानिए, समझदारी से कदम उठाइए और समय रहते बैंक से बात करिए—समस्या का हल ज़रूर मिलेगा।