EPS Pension : आजकल जब हर चीज़ के दाम बढ़ते जा रहे हैं – चाहे वो राशन हो, दवाई हो या बिजली का बिल – तो सोचिए उन बुज़ुर्गों का क्या हाल होता होगा जिन्हें हर महीने सिर्फ ₹1,000 की पेंशन मिलती है? जी हां, हम बात कर रहे हैं EPS पेंशनर्स की, जो सालों तक देश की तरक्की में अपना योगदान देने के बाद अब बुढ़ापे में सम्मानजनक जीवन की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
EPS पेंशन क्या है?
EPS यानी Employees’ Pension Scheme, ये स्कीम साल 1995 में शुरू हुई थी और ये EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) के तहत आती है। इसका मकसद था संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन देना। ये स्कीम उन कर्मचारियों के लिए है जिनकी सैलरी 15,000 रुपये या उससे कम होती है और जिनकी EPF कटती है।
इस योजना की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसका न्यूनतम पेंशन अमाउंट ₹1,000 ही है, जो कि 2014 से चला आ रहा है। अब सोचिए, आज के दौर में ₹1,000 में क्या होता है?
पेंशनर्स की बढ़ती मांग – अब चाहिए ₹7,500 महीना
EPS पेंशनर्स पिछले कई सालों से ये मांग कर रहे हैं कि उनकी न्यूनतम पेंशन को ₹7,500 प्रति माह किया जाए। साथ ही वे ये भी चाहते हैं कि उन्हें महंगाई भत्ता (DA) मिले, पेंशन में पारदर्शिता हो और सभी पुराने पेंशनर्स को भी बराबर का फायदा मिले।
कुछ असली ज़िंदगी के उदाहरण –
- रामस्वरूप जी मेरठ से हैं, उम्र 68 साल। 30 साल तक सरकारी कंपनी में काम किया और अब सिर्फ ₹1,050 की पेंशन पर जिंदगी गुजार रहे हैं। उनका कहना है कि महीने की दवाइयों का खर्च ही ₹1,500 से ऊपर है।
- श्यामा देवी पटना से हैं, 62 साल की। पति की मौत के बाद अकेली रह गईं और उसी की EPS पेंशन से घर चला रही हैं। बढ़ते खर्चों के बीच गुजारा करना मुश्किल होता जा रहा है।
सरकार क्या कहती है?
पिछले कुछ समय में संसद में ये मुद्दा उठाया गया था। श्रम मंत्री ने माना कि EPS पेंशनर्स की मांगें जायज़ हैं और सरकार इस पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है, शायद वजह है इससे जुड़ा भारी वित्तीय बोझ।
EPS पेंशन – कुछ आंकड़ों में
बिंदु | जानकारी |
---|---|
योजना का नाम | कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-1995) |
न्यूनतम पेंशन | ₹1,000 प्रति माह |
लाभार्थी | 65 लाख से अधिक |
अंतिम बढ़ोतरी | 2014 में ₹1,000 तय हुई थी |
प्रस्तावित मांग | ₹7,500 प्रति माह |
सरकार की स्थिति | विचार चल रहा है, फैसला बाकी |
क्या पेंशन में बढ़ोतरी मुमकिन है?
बिलकुल मुमकिन है, लेकिन सरकार को इसके लिए कुछ नए रास्ते निकालने होंगे। EPS में योगदान करने वाले कर्मचारियों और कंपनियों के बीच संतुलन बनाना पड़ेगा और EPFO के फंड्स का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। साथ ही, ये भी देखना होगा कि इस बढ़ोतरी से आर्थिक ढांचा गड़बड़ाए नहीं।
EPS पेंशनर्स क्या कर सकते हैं?
अगर आप भी EPS पेंशनर हैं या आपके परिवार में कोई है, तो आप इन तरीकों से अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचा सकते हैं:
- पेंशनर्स यूनियनों से जुड़ें और संगठित रूप से मांग उठाएं
- प्रधानमंत्री पोर्टल और श्रम मंत्रालय को अपनी शिकायत और सुझाव भेजें
- अपने लोकल सांसद या विधायक से संपर्क करें
- सोशल मीडिया पर अभियान चलाएं और लोगों को जागरूक करें
मेरी अपनी कहानी
मेरे पापा भी EPS पेंशनर हैं। उन्होंने 28 साल तक एक फैक्ट्री में काम किया, और अब उन्हें सिर्फ ₹1,160 की पेंशन मिलती है। आज के समय में इतने कम पैसे में जीना कितना मुश्किल होता है, ये मैंने अपने घर में देखा है। दवाई, बिजली का बिल, किराया – सब कुछ इतना महंगा हो गया है कि कई बार उन्हें अपनी बचत से काम चलाना पड़ता है। इसलिए ये मुद्दा सिर्फ एक नंबर का नहीं, सम्मान और गरिमा का सवाल है।
अब और इंतज़ार नहीं
EPS पेंशनर्स ने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा देश की सेवा में लगा दिया। अब उनकी बारी है एक सुरक्षित और गरिमामयी जिंदगी जीने की। अगर सरकार पेंशन में इज़ाफा नहीं करती, तो ये उन लाखों बुज़ुर्गों के साथ नाइंसाफी होगी जिन्होंने कभी बिना शिकायत काम किया।