7th Pay Commission Update : सरकारी कर्मचारियों के लिए 7th Pay Commission से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। पिछले काफी समय से 18 महीने के बकाया डीए को लेकर चर्चा हो रही थी, और अब सरकार ने इस पर अपना रुख साफ कर दिया है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की डिटेल।
कब रुका था डीए
कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) को रोक दिया था। कुल मिलाकर तीन किश्तों का डीए नहीं दिया गया था। तभी से कर्मचारी इस बकाया डीए की मांग कर रहे थे और सरकार से इसे बहाल करने की अपील कर रहे थे।
सरकार का क्या फैसला है
केंद्र सरकार ने अब साफ कर दिया है कि 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान नहीं किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इसे देना वित्तीय रूप से संभव नहीं है। यानी कर्मचारियों को इस पैसे की उम्मीद छोड़नी पड़ेगी।
कर्मचारी संगठनों की क्या मांग है
सरकारी कर्मचारियों के संगठनों और कंफेडरेशन की ओर से लगातार सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि:
- 18 महीने के डीए एरियर का भुगतान किया जाए
- नई पेंशन योजना (NPS) को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को वापस लाया जाए
- कर्मचारियों की पेंशन कटौती की अवधि 15 साल से घटाकर 12 साल की जाए
- खाली पड़े सरकारी पदों को भरा जाए
- संविदा और आउटसोर्सिंग की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए
- कंपेशनेट ग्राउंड पर नौकरी देने की 5% सीमा को हटाया जाए ताकि ज्यादा लोगों को फायदा मिले।
डीए एरियर का मतलब क्या है
महंगाई भत्ता (DA) सरकारी कर्मचारियों के वेतन में एक अहम हिस्सा होता है, जिसे साल में दो बार बढ़ाया जाता है—जनवरी और जुलाई में। लेकिन 2020 में कोरोना के चलते सरकार ने इसे रोक दिया था। इस वजह से कर्मचारियों को 18 महीने का डीए नहीं मिला, जिसे अब ‘डीए एरियर’ कहा जा रहा है।
सरकार के इस फैसले का असर
सरकार के इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ा झटका लगा है। जहां कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें 18 महीने का डीए मिलेगा, वहीं सरकार ने साफ कर दिया है कि यह संभव नहीं है। इससे कई परिवारों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है, खासकर वे लोग जो इस रकम को लेकर योजनाएं बना रहे थे।
आगे क्या होगा
सरकार ने तो साफ कर दिया है कि बकाया डीए नहीं दिया जाएगा, लेकिन कर्मचारी संगठन अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। कई संगठनों ने सरकार से बातचीत की कोशिश की है और आगे भी इस मुद्दे को उठाने की योजना बना रहे हैं।
कई कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे अपने हक के लिए आंदोलन जारी रखेंगे और सरकार से दोबारा इस फैसले पर विचार करने की मांग करेंगे।
कर्मचारियों को अब क्या करना चाहिए
अगर आप भी सरकारी कर्मचारी हैं और इस फैसले से प्रभावित हुए हैं, तो आपको अपडेट्स पर नजर बनाए रखनी चाहिए।
- सरकारी कर्मचारी यूनियनों के ऐलानों पर ध्यान दें
- अगर कोई कानूनी या संवैधानिक उपाय संभव हो तो उसमें भाग लें
- आर्थिक योजनाएं बनाते समय इस रकम को नजरअंदाज करें
- अगर कोई नया अपडेट आता है तो उसके अनुसार योजना बनाएं।
फिलहाल सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों को बड़ा झटका जरूर लगा है, लेकिन कर्मचारी संगठनों की कोशिशें जारी हैं। देखते हैं आगे सरकार का क्या रुख रहता है।