Cheque Bounce : आजकल बहुत से लोग पैसों के लेन-देन के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं। यह तरीका जितना सुविधाजनक है, उतना ही जोखिम भरा भी हो सकता है। अगर आपने किसी को चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। इसलिए, अगर आप भी चेक से पेमेंट करते हैं, तो इसके नियम-कानून अच्छे से समझ लेना जरूरी है।
चेक बाउंस का मतलब क्या है?
जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और वह चेक बैंक में जमा करने के बाद क्लियर नहीं होता यानी भुगतान नहीं हो पाता, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसका सबसे आम कारण यह होता है कि जिस अकाउंट से चेक जारी हुआ है, उसमें पर्याप्त पैसे नहीं होते। इसके अलावा, सिग्नेचर मिसमैच, ओवरराइटिंग या गलत जानकारी भरा हुआ चेक भी बाउंस हो सकता है।
चेक क्लियर कराने की टाइम लिमिट
अगर आपको कोई चेक मिला है, तो उसे तीन महीने के अंदर बैंक में जमा करना होगा। अगर तीन महीने के अंदर चेक बैंक में नहीं लगाया गया, तो वह अमान्य हो जाएगा। अगर चेक बाउंस हो जाता है, तो बैंक इसकी जानकारी एक रसीद के जरिए देता है, जिसमें चेक बाउंस होने का कारण भी लिखा होता है। इस रसीद के आधार पर आप आगे कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
चेक बाउंस होने पर क्या कार्रवाई होती है?
सबसे पहले नोटिस भेजें
- अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले आपको चेक जारी करने वाले व्यक्ति को इसकी जानकारी देनी होगी।
- आपको उसे एक लीगल नोटिस भेजकर पेमेंट करने के लिए 30 दिन का समय देना होगा।
अगर भुगतान नहीं हुआ, तो क्या करें?
- अगर 30 दिन के अंदर भी चेक जारी करने वाला व्यक्ति भुगतान नहीं करता, तो आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
- इसके लिए आपको नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत केस दर्ज कराना होगा।
कोर्ट की कार्रवाई और सजा
- जब मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है, तो चेक जारी करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की सजा हो सकती है।
- इसके अलावा, कोर्ट उसे जुर्माना भरने का भी आदेश दे सकता है। जुर्माने की राशि चेक की रकम से अधिक हो सकती है, क्योंकि इसमें ब्याज भी जोड़ा जा सकता है।
- जिस जगह चेक बाउंस हुआ है, केस भी उसी जगह दर्ज होगा।
बैंक भी वसूलता है जुर्माना
अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो सिर्फ कानूनी कार्रवाई ही नहीं बल्कि बैंक भी आपसे जुर्माना वसूल सकता है। यह पेनल्टी बैंक की अपनी पॉलिसी पर निर्भर करती है और इसे आपके अकाउंट से सीधे काट लिया जाता है।
चेक बाउंस से बचने के टिप्स
- अकाउंट में हमेशा पर्याप्त बैलेंस रखें ताकि चेक बाउंस न हो।
- चेक लिखते समय सावधानी बरतें – सही तारीख, साइन और अमाउंट भरें।
- ओवरराइटिंग न करें, वरना चेक रिजेक्ट हो सकता है।
- समय पर पेमेंट करें ताकि कानूनी पचड़ों से बचा जा सके।
- चेक देने से पहले बैलेंस कन्फर्म कर लें, ताकि बाउंस होने की नौबत ही न आए।
चेक से पेमेंट करना सुविधाजनक तो है, लेकिन जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। चेक बाउंस होना एक गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें दो साल की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इसलिए, चेक जारी करने और उसे स्वीकार करने से पहले सावधानी बरतना जरूरी है। अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो तुरंत कानूनी प्रक्रिया अपनाएं और समय पर कार्रवाई करें।