CIBIL Score New Rule – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने CIBIL स्कोर से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो 1अप्रैल 2025 से प्रभावी हो चुके हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य क्रेडिट रिपोर्टिंग सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाना, गलत एंट्री पर कार्रवाई सुनिश्चित करना और लोन फ्रॉड को रोकना है। आइए जानते हैं कि ये नए नियम क्या हैं और इनका आम उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
सिबिल स्कोर क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
CIBIL स्कोर (क्रेडिट स्कोर) एक संख्यात्मक मानक है, जो आपके वित्तीय व्यवहार और क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जहां उच्च स्कोर आपकी क्रेडिट योग्यता को दर्शाता है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं इस स्कोर के आधार पर लोन और क्रेडिट कार्ड जारी करने का निर्णय लेती हैं। अब तक CIBIL स्कोर महीने में एक बार अपडेट होता था, लेकिन नए नियमों के लागू होने के बाद इसमें बड़ा बदलाव किया गया है।
CIBIL स्कोर अब हर 15 दिन में अपडेट होगा
पहले क्रेडिट स्कोर महीने में एक बार अपडेट होता था, जिससे कई लोग पुराना स्कोर दिखाकर दूसरा लोन ले लेते थे। अब यह हर 15 दिन में अपडेट होगा, जिससे बैंकों और NBFCs को अधिक सटीक और रियल-टाइम डेटा मिलेगा। इस बदलाव से लोन की मंजूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी, एक व्यक्ति तुरंत दूसरा लोन नहीं ले पाएगा और बैंक तथा वित्तीय संस्थानों को धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी।
सिबिल स्कोर चेक करने पर अनिवार्य सूचना मिलेगी
पहले बैंक और वित्तीय संस्थान बिना ग्राहक को बताए उनका CIBIL स्कोर चेक कर सकते थे, जिससे हार्ड इन्क्वायरी की संख्या बढ़ जाती थी और स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता था। नए नियमों के अनुसार, जब भी कोई बैंक या NBFC आपका स्कोर चेक करेगा, तो आपको नोटिफिकेशन और ईमेल मिलेगा। इससे ग्राहक को यह पता चलेगा कि कौन उनका क्रेडिट स्कोर एक्सेस कर रहा है और अनावश्यक हार्ड इन्क्वायरी से बचा जा सकेगा।
गलत एंट्री पर ₹100 प्रतिदिन जुर्माना लगेगा
अगर किसी उपभोक्ता की क्रेडिट रिपोर्ट में कोई गलती (गलत लोन, फर्जी एंट्री) होती है और वह इसकी शिकायत करता है, तो सिबिल को 30 दिनों के अंदर इसे सही करना होगा। यदि 30 दिनों में समाधान नहीं हुआ, तो CIBIL को ₹100 प्रतिदिन का जुर्माना देना होगा। यह नियम उपभोक्ताओं को गलत एंट्री से बचाने और सही रिपोर्ट सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
हार्ड इन्क्वायरी बनाम सॉफ्ट इन्क्वायरी: क्या फर्क है?
हार्ड इन्क्वायरी तब होती है जब कोई बैंक या वित्तीय संस्था लोन या क्रेडिट कार्ड अप्रूवल के लिए आपका स्कोर चेक करती है। यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज होती है और स्कोर पर नकारात्मक असर डाल सकती है। यह 2 वर्षों तक क्रेडिट रिपोर्ट में दिखती है और अधिक हार्ड इन्क्वायरी होने से स्कोर गिर सकता है। वहीं, सॉफ्ट इन्क्वायरी तब होती है जब आप खुद अपना CIBIL स्कोर चेक करते हैं या किसी वित्तीय संस्था द्वारा प्री-अप्रूवल ऑफर के लिए की गई चेकिंग होती है। इसका आपके स्कोर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता और यह सिर्फ आपको ही दिखाई देती है। नए नियम के तहत, अब हर बार जब कोई हार्ड इन्क्वायरी होगी, आपको नोटिफिकेशन मिलेगा।
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नए नियमों का आम जनता पर प्रभाव
इन बदलावों से क्रेडिट रिपोर्टिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी। ग्राहकों को यह पता रहेगा कि कौन उनकी क्रेडिट रिपोर्ट एक्सेस कर रहा है, जिससे धोखाधड़ी में कमी आएगी। अनावश्यक हार्ड इन्क्वायरी से बचाव होगा, जिससे क्रेडिट स्कोर को सुधारने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, गलत एंट्री की स्थिति में CIBIL को जवाबदेह बनाया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को सही रिपोर्ट मिलेगी।
अपना CIBIL स्कोर सुधारने के आसान उपाय
समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करें, क्रेडिट यूटिलाइजेशन 30% से कम रखें, बिना जरूरत नया लोन या क्रेडिट कार्ड न लें, हर 6 महीने में अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें और गलतियों की शिकायत करें। इसके अलावा, क्रेडिट मिक्स बनाए रखें – जैसे होम लोन, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड का बैलेंस रखें, ताकि आपका स्कोर बेहतर बना रहे।
नए नियम आपके फायदेमंद हैं!
RBI द्वारा किए गए ये बदलाव आम उपभोक्ताओं के हित में हैं। हर 15 दिन में CIBIL स्कोर अपडेट, बैंक द्वारा स्कोर चेक करने पर नोटिफिकेशन और गलत एंट्री पर जुर्माना – ये सभी बदलाव क्रेडिट सिस्टम को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएंगे। अगर आप अपना CIBIL स्कोर सही बनाए रखना चाहते हैं, तो समय पर भुगतान करें और अनावश्यक लोन लेने से बचें। इन नए नियमों के बारे में अपने दोस्तों और परिवार को भी बताएं, ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें।