EMI नहीं भर पा रहे? Supreme Court का बड़ा फैसला, बैंकों की मनमानी खत्म! Loan Default Rules

Loan Default Rules – अगर आपने बैंक से लोन लिया है और किसी वजह से EMI भरने में चूक हो गई है, तो आपके लिए एक राहतभरी खबर है। अक्सर ऐसा होता है कि अगर आप एक भी EMI मिस कर देते हैं, तो बैंक तुरंत कड़ा एक्शन लेने लगते हैं। कई बार मजबूरी में लोग किस्त नहीं भर पाते, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। अब इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो लोन भरने में असमर्थ होते हैं।

RBI के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

यह मामला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक मास्टर सर्कुलर से जुड़ा हुआ है। इस सर्कुलर में बैंकों को यह अधिकार दिया गया था कि वे लोन न चुका पाने वाले लोगों को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ की श्रेणी में डालकर उनके लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर सकते हैं। इस फैसले का कई राज्यों में विरोध हुआ और मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा। पहले तेलंगाना हाई कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट ने इस पर निर्णय दिया और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्कुलर पर सुनवाई के बाद बैंकों की मनमानी पर रोक लगा दी है।

किन लोगों पर लागू होता था यह सर्कुलर?

RBI का यह सर्कुलर उन लोगों के लिए था जो लोन नहीं चुका पाते। अगर कोई व्यक्ति समय पर EMI नहीं भरता था, तो बैंक उसके अकाउंट को फ्रॉड की श्रेणी में डाल सकता था। इसका मतलब यह था कि लोनधारक को भविष्य में कोई भी बैंकिंग सुविधा नहीं मिलती, उसका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता और उसे आर्थिक रूप से भारी नुकसान झेलना पड़ता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अनुचित ठहराया है और कहा है कि बिना सुनवाई किसी को फ्रॉड घोषित करना गलत है।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या बदलेगा?

अब अगर आप लोन की EMI चुकाने में असमर्थ हैं, तो बैंक आपको सीधे फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी ग्राहक को फ्रॉड घोषित करने से पहले बैंक को उसकी बात सुननी होगी और उसे अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका देना होगा। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो आर्थिक तंगी की वजह से समय पर EMI नहीं भर पाते।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि किसी भी ग्राहक को फ्रॉड घोषित करने से पहले उसके खिलाफ FIR दर्ज कराना जरूरी होगा। बिना किसी ठोस जांच के बैंक मनमाने ढंग से ग्राहकों को ब्लैकलिस्ट नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि किसी को फ्रॉड घोषित करना उसे ब्लैकलिस्ट करने के बराबर है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।

हाई कोर्ट का भी था ऐसा ही फैसला

इस मामले पर कई हाई कोर्ट पहले ही अपना फैसला सुना चुके थे। तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि अगर कोई लोनधारक EMI नहीं भर पा रहा है, तो उसे अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए। बिना सुनवाई उसे फ्रॉड घोषित करना उसके कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया है और बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों को पक्ष रखने का अवसर जरूर दें।

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अब ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

अगर आप किसी वजह से अपनी EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। अब बैंक आपको फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते, जब तक कि वे आपको अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका न दें। अगर बैंक आपके खिलाफ कोई अनुचित कार्रवाई करता है, तो आप इसे कानूनी रूप से चुनौती दे सकते हैं। इस फैसले से लाखों लोनधारकों को राहत मिलेगी और बैंकों की मनमानी पर रोक लगेगी।

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