LPG Gas Subsidy : सरकार की उज्ज्वला योजना ने देश के करोड़ों गरीब परिवारों की ज़िंदगी आसान बना दी है। इस योजना के तहत अब तक करीब 10.33 करोड़ परिवारों को सब्सिडी वाली एलपीजी गैस मिल रही है। पहले जहां लोग लकड़ी, गोबर और फसलों के अवशेष जलाकर खाना बनाते थे, वहीं अब गैस चूल्हे पर बिना धुएं के खाना बना रहे हैं।
पूरे देश में एलपीजी का बढ़ता कवरेज
एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी
देश में इस समय 32.94 करोड़ घरेलू एलपीजी उपभोक्ता हैं। यानी अब हर घर में गैस सिलेंडर होना आम बात हो गई है।
गैस की कीमतों में राहत
लोकसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री सुरेश गोपी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमतें जुलाई 2023 में 385 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर फरवरी 2025 में 629 डॉलर तक पहुंच गई हैं।
इसके बावजूद, सरकार ने उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अगस्त 2023 में 903 रुपये से घटाकर फरवरी 2025 में 503 रुपये कर दी। यानी उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाली 300 रुपये की सीधी सब्सिडी अब भी जारी है।
आयात पर निर्भरता और कीमतें
भारत अपनी जरूरत की 60% एलपीजी विदेशों से आयात करता है, इसलिए यहां की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ जुड़ी होती हैं। फिर भी सरकार ने कोशिश की है कि गरीबों को राहत मिलती रहे।
उज्ज्वला योजना: एक बड़ा बदलाव
योजना की शुरुआत और लक्ष्य
मई 2016 में शुरू हुई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का मकसद था गरीब परिवारों की महिलाओं को बिना किसी अग्रिम जमा राशि के एलपीजी कनेक्शन देना।
- पहले चरण में 8 करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य था, जो सितंबर 2019 में पूरा हुआ।
- इसके बाद योजना को आगे बढ़ाया गया और उज्ज्वला 2.0 के तहत और परिवारों को भी जोड़ा गया।
गैस की खपत में इज़ाफा
- 2019-20 में प्रति परिवार औसतन 3.01 सिलेंडर इस्तेमाल किए जाते थे।
- 2024-25 में यह बढ़कर 4.43 सिलेंडर प्रति परिवार हो गया है।
इससे साफ है कि लोग अब गैस का इस्तेमाल ज़्यादा कर रहे हैं और ये योजना व्यवहारिक रूप से काम कर रही है।
एलपीजी कवरेज अब लगभग हर घर तक
2016 में एलपीजी कवरेज 62% थी, जो अब लगभग हर घर तक पहुंच गई है। यानी गांव हो या शहर, लोग अब गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार की तरफ से ज़मीनी स्तर पर प्रयास
पंजीकरण और प्रचार
सरकार ने योजना को सफल बनाने के लिए विभिन्न प्रचार अभियानों, रजिस्ट्रेशन कैंप्स और ऑनलाइन आवेदन जैसी सुविधाएं दीं, जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें।
ग्रामीण क्षेत्र में नए वितरक
अब तक 7,959 नए गैस वितरक नियुक्त किए जा चुके हैं, जिनमें से 93% ग्रामीण इलाकों में हैं। इससे गांवों में भी गैस की उपलब्धता आसान हो गई है।
महिलाओं की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव
सेहत में सुधार
पहले महिलाएं खाना पकाने के लिए लकड़ी या गोबर जलाती थीं, जिससे घर में धुआं भर जाता था और उन्हें सांस व आंखों की समस्याएं होती थीं। अब गैस की वजह से धुएं से राहत मिली है, जिससे महिलाओं और बच्चों की सेहत में सुधार हुआ है।
समय की बचत और आत्मनिर्भरता
अब महिलाएं खाना जल्दी बना लेती हैं, जिससे उनके पास अन्य आर्थिक या पारिवारिक कामों के लिए समय बचता है। ये उन्हें आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम आगे ले जाता है।
पर्यावरण को भी मिला फायदा
एलपीजी के बढ़ते उपयोग से लकड़ी की खपत कम हुई है, जिससे जंगलों की कटाई भी घट रही है। यानी उज्ज्वला योजना ने सिर्फ घरों को रोशन नहीं किया, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाई है।