Petrol Diesel Rate : पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर किसी की जेब से जुड़ा मसला है। चाहे बाइक हो, कार हो या फिर सब्ज़ी ट्रक से आ रही हो — इनकी कीमतों में हलका-सा बदलाव भी सीधा असर डालता है। हाल ही में 4 अप्रैल से जो नए रेट लागू हुए हैं, उन्हें लेकर काफी चर्चा हो रही है। तो चलिए जानते हैं असल में क्या हुआ है, क्या सच में कीमतें घटी हैं या बस उम्मीद ही है?
रोज़ सुबह बदलते हैं दाम
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी तेल कंपनियां तय करती हैं। ये कंपनियां हर रोज़ सुबह 6 बजे दामों की समीक्षा करती हैं और ज़रूरत के हिसाब से दाम बढ़ाती या घटाती हैं। ये बदलाव काफी हद तक ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों पर आधारित होते हैं।
सिर्फ तेल नहीं, टैक्स भी खेल में शामिल
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में सिर्फ कच्चे तेल की कीमत का ही रोल नहीं होता। इसमें सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स जैसे कि एक्साइज ड्यूटी (केंद्र सरकार का टैक्स) और वैट (राज्य सरकार का टैक्स) भी शामिल होते हैं। यही वजह है कि दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में दाम अलग-अलग होते हैं।
इसके अलावा डीलर का कमीशन और रुपये-डॉलर का एक्सचेंज रेट भी पेट्रोल-डीजल की कीमत को प्रभावित करता है।
4 अप्रैल 2025 को क्या बदला?
अब सबसे अहम बात — 4 अप्रैल से पेट्रोल और डीजल के दामों में कितना बदलाव आया? तो बता दें कि इस तारीख से कोई बहुत बड़ा झटका या राहत नहीं आई है। हां, कुछ शहरों में हल्की-फुल्की गिरावट ज़रूर देखी गई है, लेकिन ये गिरावट बहुत ज़्यादा नहीं है। नीचे कुछ बड़े शहरों के ताज़ा रेट्स दिए गए हैं:
शहर | पेट्रोल (₹/लीटर) | डीजल (₹/लीटर) |
---|---|---|
दिल्ली | 95.41 | 86.67 |
कोलकाता | 104.67 | 89.79 |
मुंबई | 109.98 | 94.14 |
चेन्नई | 101.51 | 91.53 |
पटना | 105.60 (लगभग) | 92.25 (लगभग) |
बेंगलुरु | 100.72 (लगभग) | 90.40 (लगभग) |
हैदराबाद | 109.66 (लगभग) | 95.30 (लगभग) |
जयपुर | 106.48 (लगभग) | 92.71 (लगभग) |
जैसा कि आप देख सकते हैं, दामों में कोई बड़ा बदलाव नहीं है। कहीं-कहीं मामूली गिरावट ज़रूर दिख रही है, लेकिन कोई बड़ी राहत नहीं मिली है।
कीमतों में बदलाव क्यों होता है?
पेट्रोल-डीजल के दाम कई चीज़ों पर निर्भर करते हैं:
- कच्चे तेल की कीमतें: अगर इंटरनेशनल मार्केट में तेल सस्ता होता है, तो हमारे यहां भी दाम घट सकते हैं।
- एक्सचेंज रेट: अगर रुपया डॉलर के मुकाबले मज़बूत होता है, तो भी दामों पर असर पड़ता है।
- टैक्स में बदलाव: सरकार अगर एक्साइज ड्यूटी या वैट कम करती है, तो जनता को राहत मिल सकती है।
- मांग और सप्लाई: जब मांग ज़्यादा और सप्लाई कम होती है, तो दाम बढ़ जाते हैं।
कीमतें कैसे असर डालती हैं
अब सोचिए, अगर पेट्रोल-डीजल महंगा हो गया तो क्या-क्या होगा?
- महंगाई: ट्रक-बसों की लागत बढ़ेगी, जिससे सब्ज़ी-फल, दूध, किराना सब महंगा हो जाएगा।
- उद्योग: फैक्ट्रियों की लागत बढ़ेगी और सामान महंगा होगा।
- खेती-किसानी: ट्रैक्टर और पंप डीजल से चलते हैं, तो किसानों पर भी असर पड़ेगा।
आगे क्या उम्मीद
फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें थोड़ा स्थिर हैं, और सरकार की तरफ से भी किसी नए टैक्स बदलाव की घोषणा नहीं हुई है। अगर ग्लोबल मार्केट में कोई बड़ा झटका नहीं आया, तो आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम ज़्यादा नहीं बढ़ेंगे। और अगर सरकार टैक्स में थोड़ी राहत देती है, तो जनता को सस्ती दरें देखने को मिल सकती हैं।
तो कुल मिलाकर 4 अप्रैल से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बहुत बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। आम जनता को फिलहाल राहत मिली हुई है, और उम्मीद है कि ये राहत आगे भी बनी रहे।